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एक मुस्लिम आर्कियोलॉजिस्ट ने कैसे खोजे राम मंदिर के अवशेष

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Introduction:

1976-77 के दौरान, जब देश में इमरजेंसी का समय था, दिल्ली यूनिवर्सिटी के पुरातत्‍व विभाग के छात्रों ने एक ऐतिहासिक यात्रा अयोध्‍या की तलाश में की। इस दल में एक मुस्लिम छात्र, करिंगमन्‍नू कुझियिल मुहम्‍मद, ने हिंदू धर्म के ऐतिहासिक मंदिर के साक्ष्‍य को उजागर करने का संकल्प लिया। इस यात्रा ने एक सुनहरा पन्ना जोड़ा और पुरातात्विक सत्यों की खोज में नए अध्याय को जोड़ा।

The Educational Tour:

यह एक सामान्‍य एजुकेशनल टूर था, जो अयोध्‍या की ऐतिहासिक जड़ों को टटोलने के लिए था। इस दल में केरल के कोझिकोड में जन्‍मा मुहम्‍मद भी शामिल था, जिनका उद्दीपन आस्थाओं की खोज में हुआ था। उनका उद्दीपन बड़ा ही अजीब और बड़ा ही महत्वपूर्ण था, क्‍योंकि यह एक मुस्लिम युवा था जो हिंदू धर्म के पुरातात्विक स्थलों की खोज में संलग्न हो रहा था।

Karingmannu Kuzhiyil Muhammad’s Journey:

करिंगमन्‍नू कुझियिल मुहम्‍मद ने अपने आत्मविश्‍वास और उत्साह से भरी आंधी का सामना किया। 1976 में, देश में बीजेपी की सरकार नहीं थी और स्थिति बहुत कमजोर थी। केंद्र सरकार के मुलाजिम होते हुए भी, वह अपने मुस्लिम आदर्शों के खिलाफ खड़ा हो गया। लेकिन उसने डिगे नहीं, उसने अपने संकल्प को पूरा करने के लिए अपने सभी रूखों से सामना किया।

The Archaeological Discoveries:

अयोध्‍या में हुई खुदाई के दौरान, कुझियिल ने अद्वितीय पुरातात्विक रहस्यों को खोजने का संकल्प किया। उन्होंने मंदिर के स्तंभों के नीचे के भाग में ईंटों से बनाया हुआ आधार देखा और विभाजन करने का प्रयास किया। उन्हें हैरानी हो रही थी कि इसे अब तक किसी सरकार ने पूरी तरह खोदकर देखने की जरूरत क्यों नहीं समझी?

Unveiling the Truth:

खुदाई के दौरान, उन्होंने बाबरी मस्जिद की दीवारों में मंदिर के खंभों को साफ-साफ देखा। मंदिर के स्तंभ काले बसाल्ट पत्थरों से बनाए गए थे और निचले भाग में 11वीं और 12वीं सदी के मंदिरों में दिखने वाले पूर्ण कलश दिखाई दे रहे थे। इस खोज ने राम जन्मभूमि मंदिर के पुरातात्विक अस्तित्व को स्थापित कर दिया और इसे एक बड़े विवाद के केंद्र में बना दिया।

Conclusion:

केके मुहम्मद की यह उदाहरणीय कहानी हमें दिखाती है कि एक व्यक्ति अपने संकल्प और दृढ़ता के साथ किसी भी कठिनाई का सामना कर सकता है। उन्होंने अपने देशभक्ति और सच्चाई के प्रति प्रतिबद्ध रहकर राम जन्मभूमि मंदिर के साक्ष्यों को उजागर किया और एक नए दृष्टिकोण का संजीवनी मूल्य दिया। इससे हमें एक सशक्त, एकता भावना और सहयोग की भावना से युक्त होकर अपने सामाजिक समृद्धि की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

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